ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''आपकी क्या राय है?''
''दिल तो नहीं मानता लेकिन सबूत सब उसके खिलाफ जाते हैं।''
''वह कैसे?''
''नौकरानी का बयान। उसका मेरे सामने झूठ बोलना और यह मानना कि रात को सोने से पहले उसीने उन्हें दूध दिया था।''
''इसमें रमिया का भी तो हाथ हो सकता है!''
''रमिया! ओ, उनकी नौकरानी! वह भला ऐसा क्यों करने लगी?''
''फिर तो आप यह भी बता सकते हैं कि पूनम-नहीं, अंजना ने ऐसा क्यों किया?''
''डिप्टी साहब की जायदाद के लिए-।''
''लेकिन जायदाद का वारिस तो उनका पोता है।''
''जी हां, लेकिन उनकी वसीयत के मुताबिक अंजना उसकी गार्जियन है।''
''लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकती इंस्पेक्टर।''
''लालच कभी-कभी देवताओं को भी शैतान बना देता है।''
तिवारी की बात सुनकर कमल चुप हो गया। वह पुलिस वालों से बहस तो नहीं कर सकता था लेकिन उसका दिल अभी तक यह मानने के लिए तैयार नहीं था कि वह ऐसे दयालु व्यक्ति की हत्या कर सकती है, जिसने उसे पिता का प्यार दिया। उसे विधवा मानकर उसकी खुशियों को लौटाने का फैसला कर लिया। इज्जत दी। मान दिया।
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