ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
अंजना ने घृणा से बनवारी की ओर देखा जो शायद उसे इन सबके सामने अपमानित करने पर तुला हुआ था। उसके अतीत को खोलकर उससे अपनी बेइज्जती का बदला लेना चाहता था। वह अभी इस निश्चय पर नहीं पहुंची कि क्या जवाब दे कि बनवारी ने उन लोगों से कहना आरंभ कर दिया-''हुज़ूर! इसका असली नाम अंजना है, पूनम नहीं है!''
''तुम इसे कब से जानते हो?''
''अपनी बीवी को जानने के लिए क्या वक्त बताना जरूरी है?''
बीवी के शब्द पर अंजना के रोंगटे खड़े हो गए। वह अपनी सफाई में कुछ कहने के लिए बढ़ी, लेकिन तिवारी ने उसे चुप रहने का संकेत किया।
''तो अंजना तुम्हारी बीवी है?''
''जी। लेकिन किसी बच्चे की मां नहीं है। मेरा और इसका अक्सर इसी बात पर झगड़ा रहता था। इसे बच्चों से प्यार था और मैं इसे दो बरस में बच्चा न दे सका और इसीलिए इसे मुझसे नफरत हो गई।''
''क्या तुम इस औरत को जानते हो?'' तिवारी ने शबनम की ओर इशारा किया।
''जी हां, यह पूनम है। डिप्टी साहब की विधवा बहू है।''
''तुम्हें कैसे पता चला?''
''काशी एक्सप्रेस में हम लोग इकट्ठे आ रहे थे। जब गाड़ी की दुर्घटना हुई तो हम सब बिछुड़ गए। पूनम घायल हो गई। उसका बच्चा उससे अलग हो गया। मैंने सोचा, मेरी अंजू मर गई।''
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