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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


रमिया जब दूध का गिलास लिए कमरे में पहुंची तो लालाजी बिस्तर में लेटे हुए कोई किताब देख रहे थे और अंजना चुपचाप पास बैठी राजीव का स्वेटर बुन रही थी। रमिया को देखते ही उसने इशारा किया और वह दूध का गिलास मेज पर रखकर चली गई।

लालाजी बोले-''कहा ना, दूध नहीं चाहिए।''

''सुबह आपने कुछ नहीं खाया। खाली पेट रात-भर नींद नहीं आएगी।''

''तुम भी डाक्टरों की बातों में आ गईं!''

''उनका कहना मानती तो आपको पढ़ने भी न देती।''

''वे पागल हैं। जिंदगी के दर्द को दिल का दौरा समझ बैठे।''

वह चुप हो गई और उनको सहारा देकर उनकी पीठ के पीछे तकिया जमा दिया। वे बहू की तीमारदारी पर अत्यन्त प्रसन्न थे। जब वह दूध का गिलास उठाने लगी तो वे कह उठे-''अभी रुक जाओ, जरा ठंडा हो जाए तो पी लूंगा।''

अंजना ने दूध का गिलास वापस रख दिया और उनके हाथों से किताब छीन ली। वे उसकी इस अदा पर मुस्कराकर रह गए। यह सोचकर उनके दिल में कसक-सी हुई कि वह शीघ्र ही ऐसी निःस्वार्थ सेविका से बिछुड़ जाएंगे।

''आप बुरा मान गए?'' अंजना ने पूछा।

''वह क्यों?'' उनका दिल उमड़ आया।

''आपके हाथों से यह किताब जो छीन ली!''

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