ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''और अगर मैं न आती तो?''
''रात-भर योंही खड़ा रहता।'' बनवारी ने मुस्कराकर कहा और फिर जेब से एक छोटा-सा पैकेट निकालकर बोला-''यह लो धानी चूड़ियां।''
''अरे! मैंने तो मजाक किया था!''
''तो वह मजाक सच हो गया।''
बनवारी ने वह पैकेट खोलकर चूड़ियों को उंगलियों में लहराया। रमिया ने ललचाई नजरों से उस अंधेरे में उनकी चमक देखी और उन्हें बनवारी से झपट लिया और एक चूड़ी को अपनी पुतलियों के सामने नचाने लगी। देखते ही देखते धीरे-धीरे वह चूड़ियां अपनी बांहों में उतारने लगी।
''तुम्हारी बहूरानी कहां हैं इस वक्त?''
''अपने कमरे में बच्चे से खेल रही हैं।''
''उसे बच्चे से बहुत प्यार है?''
''था, लेकिन अब नहीं रहा।''
''क्यों?''
''उनका प्यार बंट गया है।''
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