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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''उनकी परवाह मत करो। न तो वे कल तुम्हारे शोक में तुम्हारे साथ थे और न आज वे तुम्हारी खुशियों में भागीदार बनेंगे।''

''अंजना का क्या कहना है?''

''कुछ नहीं, वह तो अपने-आपको इस घर के लिए अर्पण कर चुकी है। उसकी खुशियों के बारे में तो हम दोनों को सोचना है।''

''लेकिन उसने तुम्हें यह सब कुछ बताया कैसे?''

''उसने नहीं, बल्कि उसके खत ने बताया है जो उसने तुम्हारे बेटे के नाम लिखा है।''

इसके साथ ही लाला जगन्नाथ ने अंजना का वह खत केदारनाथ के सामने रख दिया। केदारनाथ उसे उठाकर पढ़ने लगे। खत पढ़ने के साथ ही उनके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं।

खत वापस करते हुए उन्होंने लाला जगन्नाथ से कहा-''क्या कमल को इसकी जानकारी है?''

''नहीं, यह खत उसे मिलने से पहले ही मेरे हाथ लग गया था।''

केदार बाबू चुप हो गए। उनकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें! वे किसी गहरी सोच में डूब गए और उसी अवस्था में मग्न दूध का गिलास उठाकर घूंट-घूंट पीने लगे।

''जिंदगी-भर कोई पुण्य का काम हमने नहीं किया केदारनाथ!''

केदार बाबू ने प्रश्नसूचक दृष्टि से लाला जगन्नाथ की ओर देखा।

''आओ, यह पुण्य कमा लें। दो बिछुड़ी आत्माओं का मिलन करा दें।''

''बात तो पते की कहते हो दोस्त, लेकिन एक बात से डरता हूं।''

''किस बात से?''

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