ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''क्या मालूम आज इन्हें क्या पसंद हो? इसीलिए दोनों ले आई।'' अंजना जो केदार बाबू की नजरों से पहले ही घबरा रही थी और भी घबरा गई और फिर बाबूजी की दवा की शीशी उनके पास रखते हुए बोली-''शाम को गोलियां लेना मत भूलिएगा।''
''तुम कहीं जा रही हो क्या?''
''जी हां, मंदिर।''
अंजना बाहर जाने के लिए मुड़ी। केदार बाबू उसे जाते देखते रहे। जीवन में कभी ऐसा भी अवसर आएगा कि परिस्थितियां इस तरह उनका उपहास करेंगी-इस बात पर उन्हें विश्वास नहीं आ रहा था।
''क्यों केदारनाथ, क्या फैसला किया?''
''मेरी तो अकल काम नहीं करती।''
''तो दूसरों की अकल से काम लो। ऐसी बहू तो इस जन्म में नहीं मिलेगी।''
''लेकिन कमल क्या कहेगा?''
''जिसकी कल्पना से उसे घृणा है, उसी के अस्तित्व से वह प्यार करता है।''
''लेकिन जब उसके विश्वास को धक्का लगेगा तब?''
''इसीलिए तो कहता हूं, उसे मेरी बेटी समझकर रिश्ता कर लो। रहस्य रहस्य ही बना रहेगा।''
''दुनियावालों को क्या जवाब दूंगा?''
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