ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''यहां बैठी क्या सोच रही हो?''
''सोच रही हूं, मेरी जिंदगी भी इस कटी पतंग से कितनी मिलती-जुलती है?''
''वह कैसे?''
''डोर से कट जाने के बाद अपने साथियों से बिछुड़ जो गई!''
''या अपने देवता से मिलने के लिए उसने उन सबका साथ छोड़ दिया और आजाद हो गई!''
''लेकिन हवा के तेज झोंकों का कब तक सामना कर सकेगी? वह इसके टुकड़े-टुकड़े कर देगी।''
''इससे पहले ही कोई उसे उचक लेगा। देखो पूनम! उस पतंग को माली के लड़के ने उठा लिया। वह उसके लिए नई डोर लाएगा और उसे फिर से आकाश में पहुंचाएगा।''
अंजना ने निगाहें उठाकर उस पतंग की ओर देखा जिसे माली के लड़के ने थाम लिया था और उसे लिए जंगल की ओर भाग रहा था ताकि और लड़कों की निगाह न पड़ जाए। लड़का जब नजरों से ओझल हो गया तो अंजना ने निगाहें फेर लीं।
''जानती हो पूनम! आज मैंने बाबूजी से दिल की बात कह दी है।''
''क्या?''
''उस माली के बेटे की तरह मैं भी तुम्हें नई डोर से बांधूंगा। एक नयाजीवन दूंगा अपना बनाकर।''
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