ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''घबराओ नहीं, ससुराल जाओगी तो अपने-आप मशीन बन जाओगी। मैके का राज है, दो-चार दिन आराम कर लो।''
''पूनम।''
''हूं।''
''तुमने तो अपने मैके में खूब आराम से दिन काटे होंगे?''
''नहीं, अपना तो नसीब उल्टा रहा। बचपन में ही मां-बाप चल बसे, मामूं ने पाला-पोसा, बेगानों की तरह और फिर जब जिंदगी के सपने पूरे होने लगे तो अपने प्रीतम को खो बैठी।''
यह कहते-कहते उसकी आंखों में आंसू आ गए। शालिनी ने उसके मन की व्याकुलता समझ ली और गंभीरता को मुस्कराहट में बदलते हुए पूछने लगी-''क्या ऐसा संभव नहीं पूनम कि जो सपने अधूरे रह गए हों वे अब पूरे कर लो?''
अंजना ने शालो की बात सुनी और फिर कुछ विचित्र दृष्टि से उसकी ओर देखने लगी। शालो के अधरों पर अब भी मुस्कान थिरक रही थी।
अंजना उसके दिल की बात समझ गई, फिर भी अनजान-सी बनकर बोली-''वह कैसे?''
''दूसरा ब्याह करके।''
अंजना को यह सुनकर अच्छा भी लगा और बुरा भी। बोली-''यह तुम ठीक कह रही हो शालो?''
''हां, एक लड़की ही दूसरी लड़की के दिल की गहराइयों को समझ सकती है।''
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