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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


कमल दोपहर के खाने का वादा करके चला गया। वे दोनों अपने-अपने काम में जुट गईं, लेकिन डिप्टी साहब के मन का भार बढ़ता ही गया।

आज उन्होंने कमल के दिल को भी टटोलने का यत्न किया था, लेकिन बात अधूरी रह गई थी। वे कमल और अपनी बहू के दिल में उठती हुई और मचलती हुई भावनाओं से परिचय प्राप्त कर चुके थे और अपनी जिंदगी में ही यह गुत्थी सुलझा देना चाहते थे। लेकिन जब यह सोचते-सोचते उन्हें ख्याल आता कि अंजना ने पूनम बनकर उन्हें धोखा दिया है, तो वे गुस्सा घोंटकर रह जाते। उस देवी की कल्पना एक नया रूप धारण कर लेती और वे इस नाटक के रहस्य को समझने का प्रयास करने लगते।

कमल के जाने के बाद उनके मन में यही बातें घूमती रहीं।

अंजना आज बड़ी खुश थी। वह इस भ्रम में पड़ चुकी थी कि कमल ने उसके जीवन का भेद समझ लिया है और उस पत्र ने उसके ऊपर कोई विपरीत प्रभाव नहीं डाला। सचाई की झलक मिलते ही उसका स्नेह और बढ़ गया और आज उसके हाथ का खाना खाकर वह उसका महत्त्व और बढ़ाना चाहता है।

वह बड़ी फुरती से काम किए जा रही थी। आज उसने अपने हाथों से मसाला पीसा, स्टोव जलाया और तरकारी काटने लगी।

शालिनी ने उसका हाथ बंटाना चाहा, लेकिन उसने मना करते हुए कहा-''तू तो बस मेरे पास बैठी रह। काम तो अपने-आप निपट जाएगा।''

''वह तो देख रही हूं। यों भी अपने बस का नहीं है इस तरह मशीन बनना।''

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