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कटी पतंग
कटी पतंग
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9582
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आईएसबीएन :9781613015551 |
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
उसने उस खत को दुबारा पढ़ा और अन्त में दो पंक्तियां और बढ़ा दीं। उसने अपनी बिवशता भी खोल दी जिसके कारण वह बीमे के उन कागजों पर हस्ताक्षर करने जा रही थी। उसने लिफाफा सावधानी से बन्द किया और जल्दी-जल्दी क्रास लगे स्थानों पर हस्ताक्षर कर दिए।
उसने वे सारे कागजात एक बड़े लिफाफे में बन्द करके माली के हवाले किए। उसका दिल कांप रहा था। उन्हीं कागजों में उसने अपना खत भी रख दिया था और माली को समझा दिया था कि उन्हें वह कमल बाबू को ही दे। माली के प्रश्नों से बचने के लिए उसने उन कागजों का महत्त्व बता दिया और तौलिया उठाकर नहाने चली गई।
माली जब कागजों को लेकर कमल के वहां जा रहा था तो लाला जगन्नाथ ने भी वहां तक सावधानी से पहुंचाने के लिए सतर्क किया और फिर बोले-''जरा बहू से कह दे, मेरी दवा और पानी दे जाए।''
''वह तो नहाने गई हैं सरकार!''
''कोई बात नहीं, तू ही जरा मेरे कमरे से वह दवाई ले आ। पलंग के सिरहाने मेज पर रखी है, और एक गिलास पानी भी।''
''जी बहुत अच्छा,'' कहकर माली ने कागज़ों का वह लिफाफा वहीं उनके पास रख दिया और उनके कमरे की ओर चला गया। लालाजी की नजर उस लिफाफे पर पड़ी तो अचानक उन्हें ख्याल आया कि देखें बहू ने ठीक जगहों पर हस्ताक्षर किए हैं या नहीं। और फिर जैसे ही उन्होंने बीमे के कागजों को लिफाफे से बाहर निकाला, उनमें से एक छोटा-सा लिफाफा खिसककर फर्श पर जा गिरा। लालाजी ने झुककर वह लिफाफा उठा लिया और उसपर लिखा नाम पढ़ने लगे।
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