लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

38 पाठक हैं

एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


पूनम के पीले अधरों पर फीकी-सी मुस्कान उभरी जैसे उसे अंजना के निर्णय पर विश्वास न हुआ हो। परछाइयों की तरह उभरकर मिट जाने वाला इरादा था यह!

वह बोली-''एक बात कहूं?''

''कहो।''

''मानोगी?''

''हूं।''

''तुम मेरे साथ नैनीताल चलो।''

अंजना पूनम की बात सुनकर चकित हो उसे निहारने लगी। पूनम ने फिर वह बात दुहराई तो अंजना ने साफ इंकार कर दिया।

पूनम ने सहानुभूति जताते हुए उसे समझाया- ''पागल न बन। इतनी बड़ी दुनिया में अकेले कहां भटकेगी!''

''कहीं भी, लेकिन किसी दूसरे का बोझ नहीं बनूंगी।''

''मैं कोई पराई हूं! मेरी अच्छी बहन! मान जा। मेरा अजीरन जीवन भी तुम्हारा साथ पाने से कट जाएगा और तू भी नया जीवन अपना सकेगी।''

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book