लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> कटी पतंग

कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

38 पाठक हैं

एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


अंजना ने भी उसे पहचान लिया था। ''पूनम, कहकर वह भी उसकी ओर बढ़ी। पूनम ने हाथ का बर्तन एक ओर रख दिया और अंजना को बांहों में कस लिया।

उन पुरानी सखियों के मिलन को नन्हे बच्चे की चिल्लाहट ने सहसा झंझोड़ दिया। पूनम अंजू से अलग होकर बच्चे के लिए दूध बनाने लगी।

अंजना भी उसके पास बैठ गई और नन्हे को देखते हुए बोली- ''किसका है?''

''हट, बेईमान कहीं की! यह भी भला पूछने की बात है!''

''कहां हैं इसके डैडी?'' अंजना ने तुरन्त दूसरा प्रश्न कर दिया।

पूनम ने यह सवाल सुना तो सिर से पांव तक कांप गई। उसकी चमकती हुई आंखों से जैसे कोई सितारा टूट गया। आंसू पलकों से ढलककर गालों पर फिसल आए। चेहरा सफेद! उलझे बाल! न सेंदुर न श्रृंगार! वह तड़पकर चिल्ला उठी- ''नहीं पूनम! नहीं!''

''यह सत्य है अंजू! तुम्हारी पूनम अब विधवा है।''

''लेकिन यह सब हुआ कैसे?''

''जीप गाड़ी की एक दुर्घटना में वे मुझसे सदा के लिए जुदा हो गए।'' पूनम ने अपने आंसू पोंछते हुए उत्तर दिया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book