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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


वह उसके इस जवाब पर दिल ही दिल में मुस्करा उठी। अल्मारी से अपना नाइट गाउन निकालकर पहन लिया। जब वह और नहीं बोली तो बनवारी ने फिर कहा-''वह सोचती थी कि बनवारी उसपर दया दिखाएगा। रहम की नजरों से देखेगा।''

''अब क्या इरादा है?''

''यह सोने की लंका हाथ से निकलनी नहीं चाहिए। सुना है नैनीताल का बहुत बड़ा जागीरदार है उसका ससुर।''

''और कहीं अंजू ने अपनी मुहब्बत का तुमसे बदला ले लिया तो?''

''वह क्या लेगी! उसने तो उड़ने से पहले ही अपने पर काट लिए हैं।''

यह कहते हुए वह बिस्तर पर उछला और टांगें पसारकर आराम से बैठ गया। शबनम ने उसके चेहरे से उसके दिल की बात जानने की कोशिश की, लेकिन उसके इरादों को भांप नहीं सकी। उसने सामने की अल्मारी खोली और बिल्लोरी सुराही में से गिलास में शराब उंडेलने लगी।

गिलास में सुर्ख शराब देखते ही बनवारी के विह्वल मन में एक लहर उठी। चेहरे पर कांति छा गई। बुझी हुई आंखें चमक उठीं। उसने ललचाई हुई नजरों से शबनम को देखा जिसने शराब से छलकता हुआ वह जाम उसकी ओर बढ़ा दिया।

''तुम मेरी कमजोरी को खूब समझती हो शिब्बू!''

''कमजोरी को नहीं, परेशानी को।'' शिब्बू ने उसके गालों को मसलते हुए उसे गिलास थमा दिया।

बनवारी ने गहरी नजरों से उसके कोमलांगों को निहारा जिन्हें वह बरसों तक टटोल चुका था, लेकिन आज जबरदस्ती वह उसके सामने जवान बनने की कोशिश कर रही थी। बनवारी ने भी उसके गालों पर चुटकी ली और शराब के घूंट हलक में उतारने लगा। शराब का हलक से उतरना था कि उसके बदन में कामुकता की आग पहुंच गई। उसने लपककर शबनम को अपने पास खींच लिया और शराब के साथ-साथ उसके शरीर का भी उपभोग करने लगा।

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