ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''पूछो।''
''जब से तुमने होटल में उस डांसर को देखा है, तुम कुछ उदास-सी हो गई हो। क्यों?''
''नहीं तो।'' वह अपनी घबराहट को छिपाने की कोशिश करती हुई बोली।
कमल ने छ्क क्षण के लिए उसकी उदास नजरों को फिर देखा और लाइटर से सिगरेट सुलगाते हुए बोला-''मैं तुम्हारी इन उदासियों को खूब समझता हूं।''
''जी!'' वह चौंक गई।
''कुछ पुरानी स्मृतियां! कुछ हर्ष में बीते हुए क्षण! होटल का वातावरण देखकर तुम्हें वह दिन जरूर याद आ गए होंगे जब शेखर तुम्हारे साथ था।''
''यही स्मृतियां और अतीत के संचित हर्ष ही तो हैं जिनके सहारे आदमी जी लेता है। ज़िंदगी के ग़म गलत कर लेता है।''
''हां पूनम! कभी-कभी मैं सोचता हूं, तुम्हारे व्यथित हृदय की उदासी दूर कर दूं। तुम्हारी उन अंतर्दाही स्मृतियों को सदा के लिए मिटा दूं।''
यह सुनते ही उसे कंपकंपी आ गई और नजरें फेरकर वर्षा की बूंदों की लड़ियों को देखने लगी जो अंधेरे में चांदी की तरह चमक रही थीं।
कमल ने सिगरेट का धुआं फैलाते हुए धीरे-धीरे रुक-रुककर कहा- ''क्या ऐसा संभव है पूनम! पूनम, क्या कभी ऐसा हो सकता है कि...''
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