ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
कमल नयनों के इस बाण को सह न सका और कुर्सी से पीठ टिकाकर आराम से बैठ गया।
अंजना सतर्कता से दोनों की निगाहों को पढ़ रही थी।
कमलेश ने अपने दुपट्टे को सीने पर सरकाते हुए विचित्र भोलेपन से कहा-''मम्मी का भी जवाब नहीं! अब मैं कोई बच्ची थोड़े ही हूं जो मेरा नाम बिगाड़कर आप बुलाएं!''
''जी हां, आप ठीक कहती हैं।'' बिना कुछ सोचे-समझे कमल ने उसकी ओर देखते हुए कहा।
''ये हैं कमल, कमल सिन्हा।'' अंजना ने उसका परिचय दिया।
''ओ! वेरी ग्लैड टू मीट यू।'' कमलेश ने कुर्सी पर बैठते-बैठते कबूतरी की तरह फुदककर कहा, और अपने खुले होंठों को जबरदस्ती बन्द करते हुए लजा-सी गई।
उसकी इस अदा में कुछ ऐसा उन्माद था कि कमल ने मुश्किल से अपनी हंसी रोकी।
अंजना ने बातों को कुछ सार्थक बनाने के लिए मिसेज खन्ना से पूछा-''आप नैनीताल पहली बार आई हैं शायद!''
''नहीं जी, मैं तो हर बरस आती हूं, लेकिन कम्मो पहली बार आई है।''
''पहली बार नहीं मम्मी! दूसरी बार! याद नहीं, दस बरस पहले भी यहां आई थी!'' कमलेश इठलाती हुई बोल पड़ी।
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