ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
|
7 पाठकों को प्रिय 38 पाठक हैं |
एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''क्या?''
''आज तुमने फिर मेरे दिल में औरत की चाह पैदा कर दी है और मैं पुरानी बातें भूलकर सचमुच जीवन-साथी के बिना अपने-आपको अकेला पा रहा हूं।''
''सच!''
''हूं। सच! मैं तुमसे नहीं छिपाऊंगा।''
और फिर उनकी नजरें एक-दूसरे से टकराकर एक साथ ही उधर उठ गईं जिधर वह लड़की और उसकी मां आ खड़ी हुई थीं। दोनों चौंककर अपनी-अपनी जगह संभलकर खड़े हो गए और मुस्कराकर उनका स्वागत करने लगे।
''मैं मिसेज खन्ना हूं।'' उस अधेड़ उम्र की औरत ने अपने होंठों को तनिक सिकोड़ते हुए उनसे कहा।
कमल और अंजना ने हाथ जोड़कर उनको नमस्ते की और बैठने का इशारा किया।
मिसेज खन्ना जिसने अपने अधेड़पन को मेकअप और चमकीले कपड़ों में छिपाने का सफल प्रयत्न किया था, कुर्सी पर बैठने के लिए बढ़ी। वह अपनी तेज-तेज सांसों पर काबू पाते ही कमल की ओर गहरी नजरों से देखती हुई बोली-''यह है मेरी बेटी, कमलेश! हम इसे प्यार से कम्मो कहते हैं।''
''मम्मी!'' कमलेश ने नजाकत से अपने बदन को एक झटका देते हुए कुछ ऐसे ढंग से कहा कि उसकी बोटी-बोटी फड़क उठी और उसने बड़े अनोखे ढंग से कमल की ओर देखकर अपने अधरों पर ऐसी मधुर मुस्कान पैदा की जैसे वह पहली नजर में ही उस पर पर मिटी हो।
|