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कह देना
कह देना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9580
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आईएसबीएन :9781613015803 |
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
८४
इस पार देखकर कभी उस पार देखकर
इस पार देखकर कभी उस पार देखकर
हैरत में पड़ गया तेरा दीदार देखकर
मेरे जमीर की कोई क़ीमत लगा न दे
डरने लगा हूँ रौनक़े बाज़ार देखकर
राहे सफ़र में धूप है, मंजिल भी दूर है
मैं रुक गया हूँ साया-ए-दीवार देखकर
मेरी मशक्क़तों को कोई देखता नहीं
जलते हैं लोग बंगला मेरी कार देखकर
कैसी कशिश है आपके चेहरे पे क्या कहूँ
भरता नहीं है जी मेरा सौ बार देखकर
तस्वीर भी छपी मेरी ग़ज़लें भी है छपी
खुश हो रहा हूँ आजका अख़बार देखकर
शायर का ‘क़म्बरी’ यही मेयार हो गया
अश्आर कह रहा है वो दरबार देखकर
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