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कह देना
कह देना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9580
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आईएसबीएन :9781613015803 |
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
८०
अब गुज़र जाये चाहे जहाँ ज़िन्दगी
अब गुज़र जाये चाहे जहाँ ज़िन्दगी
चन्द सासों का है कारवाँ ज़िन्दगी
ढूँढते-ढूँढते थक गया है कोई
खो गयी है न जाने कहाँ ज़िन्दगी
आपको को तो विरासत में ख़ंजर मिले
और हमको मिली बेज़बाँ ज़िन्दगी
फिर वही मुश्किलें सामने आ गयीं
हमपे जब-जब हुयी मेहरबाँ ज़िन्दगी
हमने तुमसे कहा, तुमने उनसे कहा
इस तरह बन गयी दास्ताँ ज़िन्दगी
देखते - देखते हो गयी दोस्तो
बुलबुले की तरह बेनिशाँ ज़िन्दगी
कामयाबी पे इनता न इतराईये
‘क़म्बरी’ लेगी फिर इम्तेहाँ ज़िन्दगी
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