लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

278 पाठक हैं

आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें


७९

रेत पर एक मछली मचलने लगी


रेत पर एक मछली मचलने लगी
ज़िन्दगी अपने हाथों को मलने लगी

इस क़दर चाँद-सूरज ने आँहें भरीं
दिन सुलगने लगा, रात जलने लगी

ये उजाले हुये भी तो किस काम के
रौशनी-रौशनी को निगलने लगी

लिख रहे थे जो कल तक मोहब्बत के ख़त
उनकी तहरीर भी अब बदलने लगी

‘क़म्बरी’ मुन्तज़िर है सरे-शाम से
आप आयेंगे कब, रात ढलने लगी

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book