लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> कह देना

कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

278 पाठक हैं

आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें


७३

जिनमें धड़कते दिल हों वो पैकर नहीं रहे


जिनमें धड़कते दिल हों वो पैकर नहीं रहे
अब रह गये हैं सिर्फ़ मकाँ घर नहीं रहे

पैग़ामें-अम्न ले के फिज़ाओं में खो गये
सैयाद रह गये हैं, कबूतर नहीं रहे

सूरज बुलन्द इतना हुआ सर पे चढ़ गया
साये भी अपने क़द के बराबर नहीं रहे

मंज़िल पे पहुँच पाना भी दुश्वार हो गया
रहज़न ही रह गये यहाँ रहबर नहीं रहे

वीरान निगाहों में मिलेगा न कुछ तुझे
जिनमे थे ख़ज़ाने वो समन्दर नहीं रहे

पश्चिम से वो हवा चली सब लूट ले गयी
तहजीब के अब मुल्क में ज़ेवर नहीं रहे

अपना मिज़ाज और है, उनका मिज़ाज और
रिश्ते हमारे इसलिये बेहतर नहीं रहे

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book