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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

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४१

जज़्बात की ख़ुशबू से मुअत्तर न मिलेगा


जज़्बात की ख़ुशबू से मुअत्तर न मिलेगा
तुझको तेरे घर जैसा कोई घर न मिलेगा

मुठ्ठी में छिपी रहती है हर एक की क़िस्मत
मत ढूँढ सितारी में मुक़द्दर न मिलेगा

दुनिया को समझना है तो दुनिया से मिला कर
दुनिया का तजुर्बा तुझे घर पर न मिलेगा

जायेगा अगर डूबते सूरज की तरफ तू
साया भी तुझे क़द के बराबर न मिलेगा

अमृत का कलश ढूँढने निकला है कहाँ तू
बेजान निगाहों में समन्दर न मिलेगा

जाना ही पड़ेगा मुझे महबूब के घर तक
मैं जानता हूँ मुझसे वो आकर न मिलेगा

ख़त आने लगे ‘क़म्बरी’ इ-मेल के ज़रिये
अब तुझको किसी छत पे कबूतर न मिलेगा

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