लोगों की राय
ई-पुस्तकें >>
कह देना
कह देना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
|
पुस्तक क्रमांक : 9580
|
आईएसबीएन :9781613015803 |
 |
|
3 पाठकों को प्रिय
278 पाठक हैं
|
आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
४
न कर ग़रुर अभी है, अभी रहे न रहे
न कर ग़रुर अभी है, अभी रहे न रहे
कोई भरोसा नहीं ज़िन्दगी रहे न रहे
हमारे साथ उजाले हैं तेरी यादों के
हमारी राह में अब रौशनी रहे न रहे
मैं अपनी प्यास से ही प्यास को बुझाता हूँ
मेरे नसीब में कोई नदी रहे न रहे
मुझे यक़ीं है फ़िज़ायें तो गुनगुनायेंगी
किसी को याद मेरी शायरी रहे न रहे
सुना रहा है तो सुन लीजिये ग़ज़ल उसकी
न जाने बज़्म में फिर ‘क़म्बरी’ रहे न रहे
...Prev | Next...
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai