ई-पुस्तकें >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
|
3 पाठकों को प्रिय 278 पाठक हैं |
आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
९७
वो हैं के वफाओं में ख़ता ढूँढ रहे हैं
वो हैं के वफाओं में ख़ता ढूँढ रहे हैं
हम हैं के ख़ताओ में वफ़ा ढूँढ रहे हैं
हम हैं ख़ुदा परस्त दुआ ढूँढ रहे हैं
वो इश्क़ के बीमार दवा ढूँढ रहे हैं
तुमने बड़े ही प्यार से जो हमको दिया है
उस ज़हर में अमृत का मज़ा ढूँढ रहे हैं
माँ-बाप अगर हैं तो ये समझो के है जन्नत
कितने यतीम इनकी दुआ ढूँढ रहे हैं
उस दौर में सुनते है कि घर-घर में बसी थी
इस दौर में हम शर्मो-हया ढूँढ रहे हैं
वैसे तो पाक-दामनी सब को पसन्द है
क्यूँ औरतों में आप अदा ढूँढ रहे हैं
हाँ ! ‘क़म्बरी’ तो सच के सिवा कुछ नहीं कहता
फिर लोग यहाँ सच की सज़ा ढूँढ रहे हैं
|