लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> जलती चट्टान

जलती चट्टान

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :251
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9579
आईएसबीएन :9781613013069

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

253 पाठक हैं

हिन्दी फिल्मों के लिए लिखने वाले लोकप्रिय लेखक की एक और रचना

वह सोच ही रहा था कि किवाड़ खुले और पार्वती ने अंदर प्रवेश किया – उसके हाथों में गिलास था।

‘यह क्या?’

‘दूध।’

‘किसलिए?’

‘तुम भूखे हो न।’

‘तुम्हें किसने कहा?’

‘तुम्हारी आँखों ने – तुमने बाबा से झूठ कहा था न!’

‘हाँ पार्वती... और तुम भी तो...।’

‘हाँ राजन आज से पहले मैं कभी झूठ नहीं बोली – न जाने...।’

‘कोई बात नहीं, यौवन के उल्लास में अक्सर झूठ बोलना ही पड़ता है।’

‘अच्छा, अच्छा दूध पी लो, मैं चली...।’

‘ठहरो तो – देखो, तुम्हारे लिए मैं कुछ लाया हूँ।’

‘चॉकलेट!’ पार्वती ने प्रसन्नता से हाथ बढ़ाया और कुछ समय तक चुपचाप खड़ी रही, आँखें छलछला आईं।

राजन घबराते हुए बोला - ‘क्यों क्या हुआ?’

‘यूँ ही बाबूजी की याद आ गई – बचपन में वह भी मुझे हर साँझ को कैंटीन से चॉकलेट लाकर दिया करते थे।’

‘ओह...! अच्छा यह आँसू पोंछ डालो और लो...।’

‘परंतु तुमने बेकार पैसे क्यों गवाएँ?’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book