लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> गुनाहों का देवता

गुनाहों का देवता

धर्मवीर भारती

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :614
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9577
आईएसबीएन :9781613012482

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

305 पाठक हैं

संवेदनशील प्रेमकथा।


“नहीं; मैंने तो नहीं देखा था।” चन्दर ने कहा।

बर्टी ने फिर मायूसी से सिर झुका लिया और आँखें बन्द कर लीं और कराहती हुई आवाज में बोला, “जिस फूल में वह छिप गयी थी, उसी को किसी ने चुरा लिया होगा!” फिर सहसा वह तनकर खड़ा हो गया और पुचकारते हुए बोला, “जाने कौन ये फूल चुराता है! अगर मुझे एक बार मिल जाए तो मैं उसका खून ऐसे पी लूँ!” उसने हाथ की अँगुली काटते हुए कहा और उठकर लडख़ड़ाता हुआ चला गया।

वातावरण इतना भारी हो गया था कि फिर पम्मी और कपूर ने कोई बातें नहीं कीं। पम्मी ने चुपचाप टाइप करना शुरू किया और कपूर चुपचाप बर्टी की बातें सोचता रहा। घंटा-भर बाद टाइपराइटर खामोश हुआ तो कपूर ने कहा-

“पम्मी, मैंने जितने लोग देखे हैं उनमें शायद बर्टी सबसे विचित्र है और शायद सबसे दयनीय!”

पम्मी खामोश रही। फिर उसी लापरवाही से अँगड़ाई लेते हुए बोली, “मुझे बर्टी की बातों पर ज़रा भी दया नहीं आती। मैं उसको दिलासा देती हूँ क्योंकि वह मेरा भाई है और बच्चे की तरह नासमझ और लाचार है।”

कपूर चौंक गया। वह पम्मी की ओर आश्चर्य से चुपचाप देखता रहा; कुछ बोला नहीं।

“क्यों, तुम्हें ताज्जुब क्यों होता है?” पम्मी ने कुछ मुसकराकर कहा, “लेकिन मैं सच कहती हूँ”-वह बहुत गम्भीर हो गयी, “मुझे जरा तरस नहीं आता इस पागलपन पर।” क्षण-भर चुप रही, फिर जैसे बहुत ही तेजी से बोली, “तुम जानते हो उसके फूल कौन चुराता है? मैं, मैं उसके फूल तोडक़र फेंक देती हूँ। मुझे शादी से नफरत है, शादी के बाद होने वाली आपसी धोखेबाजी से नफरत है, और उस धोखेबाजी के बाद इस झूठमूठ की यादगार और बेईमानी के पागलपन से नफरत है। और ये गुलाब के फूल, ये क्यों मूल्यवान हैं, इसलिए न कि इसके साथ बर्टी की जिंदगी की इतनी बड़ी ट्रेजेडी गुँथी हुई है। अगर एक फूल के खूबसूरत होने के लिए आदमी की जिंदगी में इतनी बड़ी ट्रेजेडी आना जरूरी है तो लानत है उस फूल की खूबसूरती पर! मैं उससे नफरत करती हूँ। इसीलिए मैं किताबों से नफरत करती हूँ। एक कहानी लिखने के लिए कितनी कहानियों की ट्रेजेडी बर्दाश्त करनी होती है।”

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book