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गंगा और देव

आशीष कुमार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9563
आईएसबीएन :9781613015872

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आज…. प्रेम किया है हमने….


‘‘जहाँ पर आप मुझे कालेज दे रही हैं... वो जगह तो बिल्कुल देहात है!.. वहाँ तो गाय, भैंस, और गोबर के कण्डों के सिवा कुछ नहीं। मैं तो वहाँ पागल हो जाऊँगा‘‘ देव बोला।

रानीगंज... गोशाला से 30 किमी दूर.. एक छोटा सा विकास खण्ड... एक घुप देहात क्षेत्र।

‘‘सर! मैं आपकी बात समझ रही हूँ!....पर आपको अगर इस साल बीएड करना है तो... आपको पूरे एक साल तक... वो गाय, भैंस, और वो गोबर के कण्डे देखने पडेंगें.... वरना अगले साल फिर से इन्ट्रैंस इक्जाम दीजिऐगा और बीएड करियेगा!‘‘ उसने सहानुभूति दिखाई.....

देव ने सुना।

‘‘अगर खाली हाथ घर लौटा तो... माँ, मामी, मामा.... सब कितना हंसेंगे? कितना मजाक उड़ायेंगे मेरा? सावित्री कहेगी ये लड़का इतना भौकाल मारता है! हमेशा कहता है कि कोई भी इक्जाम आसानी से पास कर सकता है.... और ये आसान सा इक्जाम पास नहीं कर पाया!‘‘ देव के मन में बात आयी....

‘‘इसलिए ये बकवास काँलेज ले ही लेता हूँ‘‘ देव ने विचार किया।

‘‘अच्छा ठीक है दे दीजिए!‘‘ देव ने बेमन से कहा।

उसने कम्प्यूटर के की बोर्ड पर एण्टर की बटन दबाई

खर! खर! खर! खर! .... एक कागज बाहर निकला।

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