लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> गंगा और देव

गंगा और देव

आशीष कुमार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9563
आईएसबीएन :9781613015872

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

184 पाठक हैं

आज…. प्रेम किया है हमने….


देव ने दादी को सारी बात बताई। दादी ने देव के लिए दुआ पढ़ी। देव ने चाय पी। वो अब शक्ति का अनुभव कर अपने पैरों पर खड़ा हुआ। दादी को सलाम किया और वापस घर के लिए चल पड़ा ....अब हल्के कदमों के साथ। मैंने देखा...

ये प्यार तो है इक धोखा ...
इसलिए मैंने दिल को रोका ...
हम जिस पे मरे....
वो भी हम पे मरे.....
सोच के रात दिन हम जगे
ओ! ओ! ओ! ओ!.....
अल्लाह करे दिल ना लगे.....किसी से ...
अल्लाह करे दिल ना लगे.....किसी से ...
अल्लाह करे दिल ना लगे.....किसी से ...
अल्लाह करे दिल ना लगे.....किसी से ...

मैंने गाया ये गीत देव की हालत देखकर और विधाता से माँगा कि कभी किसी से प्यार-व्यार ना हो।

आखिर देव घर पहुँचा। देव ने सभी को सारी बात खुद ही सच-सच बता दी। सावित्री को आखिर चैन मिला कि कम से कम लड़का सही सलामत घर तो लौट आया। मामी को भी तसल्ली मिली। पर अब ...देव की ये हाल देखकर घर में मामा, गीता मामी, उनके तीन बच्चे और देव की माँ सावित्री अब सभी जान गये थे कि देव को गंगा से सच-सच वाला, असली-असली वाला प्यार हो गया है। देव की पढ़ी-लिखी माँ अब जादू-टोना में विश्वास करने लगी। सावित्री अब बाबाओं, ओझाओं व नीम-हकीमों की एक लिस्ट तैयार करने लगी जिससे देव पर जादू वगैरह करवाया जाए और उसे किसी प्रकार ठीक किया जाए। मैंने जाना....

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai