ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
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उसी रात दस बजे।
मैं लगातार रिमोट से टेलीविजन चैनल बदल रहा था। पिछली रात पूरी रात यामिनी ने टी वी पर प्रोग्राम देखने में बिता दी तो कुछ तो दिलचस्प होगा इसमें, लेकिन ये मेरी उम्मीदों से भी ज्यादा बोरियत भरा निकला। सभी में लगभग एक ही जैसे प्रोग्रेम चल रहे थे। मुझे आखिरकार ऑफ का ही बटन दबाना पड़ा और ठीक उसी वक्त दरवाजे पर जोर की दस्तक हुई।
‘संजय?’ मैंने अन्दाजा लगाया।
उस रात वो वक्त से थोड़ा पहले आ गया था। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला उसने मुझे जोर से गले लगा लिया।
वो काफी खुश था उस रात।
खाना खाने के बाद आदतन वो शराब और सिगरेट हाथ में लिये बालकनी की तरफ चल दिया। मैं उसके साथ था।
‘तो अंश, आपका झगड़ा होते होते बचा शूट में।’ उसने एक पैग मेरी तरफ बढ़ा दिया।
‘आप जानते हैं?’ मैंने हैरानी से पैग लिया।
‘हाँ सेन ने शूट के बाद मुझे कॉल की थी।’ उसने एक घूँट पिया ‘तो तुम उसे थप्पड़ मारना चाहते थे?’ मुझे देखते हुए खीसें निकालीं।
‘मुझे छोड़कर बस एक ही है जिसे ये बात पता है।’ मुझे यामिनी से ये उम्मीद नहीं थी।
‘उसी ने मुझे बताया है।’ आखिरी कश लेकर सिगरेट बालकनी से नीचें फेंक दी। मैं खामोशी से ड्रिंक लेता रहा। हम दोनों कुछ देर खामोश रहकर सामने जगमगाती बिल्डिंग्स और सड़कों को देखते रहे।
‘तो तुम दोनों ने एन्जाय किया वहाँ?’ उसने फिर शुरूआत की।
‘बस सड़कों पर भटकते रहे बेवजह।’
‘और जहाँ तक मैं समझ सकता हूँ वो खुश भी रही होगी तुम्हारे साथ?’ वो फिर उसी तरह की बातें करने लगा। मैंने एक गहरी साँस ली उसे जवाब देने से पहले।
‘हाँ लग तो रही थी।’ मेरी नजरें सामने सड़क पर ही रहीं।
‘तो तुम अब कुछ सोच रहे हो उसके बारे में?’
अब मुझे उसकी तरफ देखना ही पड़ा।
‘सजय मैं जानता हूँ वो तुम्हारे साथ है।’
‘मैं तुमको ये तो नहीं कह रहा कि उससे शादी कर लो बस, उसका मन थोड़ा डायवर्ट करना है।’
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