ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
मुझे उनके बारे में जानना था। संजय या यामिनी सिर्फ मेरे लुक्स या टैलेन्ट के चलते तो मुझ पर इतने मेहरबान नहीं हो सकते थे। मैं जानता था कि वो मुझे पूरी बात नहीं बतायेगी लेकिन वो जो कुछ भी बताती मेरे लिए काफी होता। मैंने कॉफी पीते हुए उससे बात की। उसे देखकर भी यही लग रहा था कि उसे जाने की कोई जल्दी नहीं है।
‘मैम आप यहाँ कब से हो?’
‘अंश ये मैम क्या होता है? तुम किसी सरकारी नौकरी पर नहीं रखे गये हो, मेरा नाम लेकर बुलाया करो। मैम..!सुनकर ही ऐसा लगता है कि कोई 38 साल की बुढि़या से बात कर रहे हो।’
‘तो... यामिनी आप कब से हो यहाँ?’
‘मैं करीब डेढ़ दो साल से यहाँ हूँ। वैसे दिल्ली में पली बढ़ी हूँ। हमेशा से इस लाइन में आने का मन था, आ गयी।’
‘तो खुश हो आप?’
‘हाँ ! क्यों नहीं।’ उसने बात खत्म कर दी। मैंने अगला सवाल थोड़ा रुक कर किया।
‘आपने कहा था कि संजय आपका दोस्त है। कल रात पता चला कि एजेन्सी का मालिक है। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा, कैन यू टैल मी इफ यू डोन्ट माइन्ड।’
‘हाँ, असल में वो मेरा बॉयफ्रेन्ड है। मीन्स वी आर टुगैदर। जब से मैं यहाँ आयी हूँ लगभग तब से उसे जानती हूँ। वो बहुत रहीस है। कुछ साल पहले तक वो अपने पापा का बिजनिस सम्हालता था। किसी बात के चलते उसकी अपने पापा से बहस हुई और बहस इतनी बढ़ गयी थी कि वो घर छोड़कर यहाँ आ गया। मैं इस एजेन्सी में कई दिनों से चक्कर काट रही थी, एक दिन मेरी मुलाकल संजय से हुई। तब ये एजेन्सी उसकी नहीं थी लेकिन उसने मुझसे वादा किया कि वो मुझे मौका जरूर दिलायेगा। हमारी दोस्ती तो हो ही गयी थी, जल्द ही हम करीब आ गये।’
‘लेकिन यामिनी ये एजेन्सी उसने कब शुरू की? मैंने तो सुना था कि ये लगभग 7-8 साल पुरानी है।’
‘हाँ अंश। ये कम से कम 8 साल से काम कर रही है। संजय बहुत चालाक है। ये उसके किसी दोस्त के पिताजी की थी। उसके बाद इसके दोस्त के पास आ गयी। संजय जब यहाँ आया तब एजेन्सी की हालत कुछ खास नहीं थी। उसका दोस्त गलत आदतों में था, तो संजय ने पहले इसे पार्टनरशिप में लिया और कुछ एक साल पहले, कुछ पैसे देकर अपने नाम करा लिया। जब वो मुम्बई आया था तो ज्यादा पैसा नहीं था उसके पास। ये फ्लैट तक उसने यहीं से कमाया है।’ यामिनी ने कमरे में नजरें घुमायीं।
‘तो अब तो ये अच्छा बिजनेस कर रही है।’
‘हाँ थोड़े बहुत कान्टेक्ट्स हैं संजय के। और सबसे अच्छी बात उसकी रगों में एक बिजनेसमैन का खून है, जो उसे इस्तेमाल करना भी आता है।’
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