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फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

‘अंश देखो तुम मेरी चिन्ता छोड़ो प्लीज। मैं ठीक हूँ। तुमको किसी ने गलत बताया है। यकीन नहीं है मुझ पर? और रही बात ये कि तुम्हारी तरफ देखकर कहूँ कि तुमको पसन्द नहीं करती। यार तुम खुद सोचो इतने क्यूट से लड़के की तरफ देखकर कोई पागल भी कहेगा ऐसा?’

कोमल ने वो बात मजाक मे उड़ा दी। मैं जानता था कि वो झूठ बोल रही है लेकिन इसके बाद मैंने उसे उसके हाल पर ही छोड़ देना बेहतर समझा। मैंने बात खत्म कर दी।

कोमल बस किसी तरह ये साबित करना चाहती थी कि जो कुछ मुझे अपने लिए उसकी आँखों में दिखता है वो सिर्फ एक दोस्त की दोस्ती है और कुछ नहीं। शायद इसीलिए उसने कॉल सेन्टर के एक चालाक और घटिया से लड़के से दोस्ती कर ली।

अजय! पूरे कॉल सेन्टर में शायद ही उसे कोई सच में पसन्द करता होगा लेकिन कोमल के लिए वो उसका मिस्टर परफैक्ट था।

मेरे सारे ही दोस्त चूँकि एक ही बात मुझे समझा रहे थे सो मैंने भी सिर्फ तेल और तेल की धार देखने का फैसला किया।

मुझे नहीं पता था कि मेरे लिए चुप बैठना मुश्किल होगा। कोमल मेरी जिन्दगी की पहली लड़की थी जिसकी भावनाओं ने मेरे दिल में जगह बना ली थी।

ये ही प्यार है? मैं खुद से ही सवाल करता था और मेरा दिलोदिमाग एक साथ जवाब देता था- नहीं!

कोमल को किसी से भी प्यार हो सकता था। हो सकता है कि मैं भी उसे प्यार करने लगा था या करने वाला था।

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