ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
20
रात 1 बजे।
कैफेटएरिया के गोल से डायनिंग पर हम सब रात का खाना खा रहे थे। रोज की तरह आज शोभा हमारे हँसी मजाक में शामिल नहीं थी। किसी उलझन में थी। हमारे ग्रुप की सबसे चुलबुली लड़की शान्त थी। मैं उससे पूछ नहीं पाया लेकिन जब हम वापस फ्लोर की तरफ लौट रहे थे, वजह खुद ही मेरे सामने आ गयी।
मैं काउन्टर से अपने लिए काफी लेकर गैलरी में चल रहा था कि पीछे से वो कुछ दौडती हुई सी मेरे पास आयी।
‘अंश रुक! कुछ बात करनी थी तुझसे।’
‘कहो।’
‘तू बुरा तो नहीं मानेगा?’
‘क्यों? गाली देने वाली हो क्या?’
‘नहीं यार। देख ये बात थोड़ी अजीब है। मुझे बतानी तो नहीं चाहिये लेकिन बता रही हूँ। कोमल तुझे बहुत पसन्द करती है।’
‘गुड! अब यही सुनना बाकी रह गया था और कुछ?’
‘तो तेरा जवाब क्या है?’
‘मेरा क्या जवाब हो सकता है? वो बस मेरी अच्छी दोस्त है, और कुछ नहीं।’ मैंने सहजता से कहा। वो मेरे जवाब से थोड़ी हैरान थी लेकिन मेरी बात मानने के सिवाय उसके पास कोई दूसरा चारा नहीं था।
‘देख अंश, हो सकता है कि तू उसके बारे में वैसा नहीं सोचता जैसा वो सोचती है लेकिन फिर भी हो सके तो उसे हर्ट मत करना। मैं जानती हूँ उसे, वो झेल नहीं पायेगी। वो पहली बार किसी को लेकर ऐसा महसूस कर रही है। खुद से तो कुछ कह नहीं पा रही थी, आज मैंने कहा कि मैं तो अंश को बताकर रहूँगी तो उसकी तबीयत खराब हो गयी और जानता है, वो नाटक नहीं कर रही, बल्कि सच में उसकी तबीयत खराब हो गयी। बड़ी पागल है! पता नहीं मेरे खानदान में से किस-किस की कसम देकर गयी है कि तुझसे कुछ न कहूँ...’
‘तो तुमने बताया क्यों मुझे?’
‘अरे तो क्या करूँ? दोस्त हूँ उसकी मैं मदद नहीं करूँगी तो कौन करेगा? अंश मैं नहीं जानती कि तेरे दिल में उसके लिए क्या है लेकिन जिस तरह तू उसकी केयर करता है लगता तो है कि तू उसे पसन्द करता है।’
‘नहीं, मैं उसे सिर्फ दोस्त मानता हूँ।’
‘तो ऐसे ही उसके लिए उस दिन झगड़ा किया? क्यों नेहा पर तेरा हाथ छूट गया था जब नेहा ने उसे गाली दी? क्यों आज भी इतनी रात में, ठण्ड में उसे घर तक छोड़ने गया?’
‘पता नहीं। लेकिन ये सब हम दोस्त के लिए भी तो करते हैं न। वो भी तो मेरी मदद करती है सेल्स में।
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