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फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

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हो सकता है कि जो कुछ संजय ने कहा वो ही सच हो लेकिन मैं यकीन न कर सका। मैं करना चाहता था लेकिन कर ना सका।

मैं चलते-चलते इस अस्पताल के एक दूसरे अन्धेरे कोने पर जा पहुँचा, ऐसा कोना जहाँ मैं खुद के सामने खड़ा हो पाता। संजय का फोन मेरे हाथ में था। एक ठण्डी बेंच पर अकेले बैठकर काफी देर तक मैं उस रिकार्ड़िंग को सुनता रहा। मैं महसूस करने की कोशिश कर रहा था कि सोनाली पर क्या बीती होगी मेरी आवाज में ये सब सुनकर। उसने कैसे इतने दिन तक खुद को सम्हाला होगा, शायद यही वो बात थी जो वो कहते-कहते रुक जाती थी। मेरे कहे लफ्ज जब मुझे ही इतनी ठेस पहुँचा रहे हैं तो उसे कितनी चोट पहुँचायी होगी? न जाने उसने इतना सब्र कैसे किया?

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