लोगों की राय
ई-पुस्तकें >>
फ्लर्ट
फ्लर्ट
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ :
Ebook
|
पुस्तक क्रमांक : 9562
|
आईएसबीएन :9781613014950 |
 |
 |
|
3 पाठकों को प्रिय
347 पाठक हैं
|
जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
47
यामिनी वाज माय फर्स्ट इन्वोल्वमेन्ट। मेन्टल, फिजिकल, स्प्रीचुअल। उसके साथ मेरा रिश्ता सबसे गहरा था। अब तक सिर्फ एक ये ही ऐसा रिश्ता था जिसे मैं प्यार की संज्ञा दे पाता। मेरे साथ आकर वो बहुत खुश थी। खुश मैं भी था लेकिन मेरी खुशियाँ सूखी जमीन पर ओस की बूँद सी थीं जिनका गुम हो जाना पहले से ही तय था लेकिन मैं उन्हें थामे ही रहना चाहता था उम्र भर के लिए। मेरी हर वक्त ये ही कोशिश रहती थी कि किसी तरह उसे उसकी उलझनों से बाहर ला सकूँ। उसे उसके सारे कड़वे एहसास भूला सकूँ लेकिन उसने इसमें कभी मेरा साथ नहीं दिया। जैसे वो चाहती ही नहीं थी कि वो उन यादों से बाहर निकले। वो तो खुद को उस वक्त के लिए तैयार कर रही थी जब वो मुझे छोड़कर जाती और मैं एक बार बेवजह सा यकीन लेकर बैठा था कि वो मुझे छोड़कर नहीं जायेगी। जिसे आप बेहद प्यार करते हैं उसके साथ रहना वो भी इस डर के साथ कि जल्द ही खो देगें, ये एहसास बहुत तकलीफ देता है। उसके लिए भले ही तीन महीनों का ये वक्त सिर्फ खुशी की वजह था लेकिन मेरा दिल तो इस बीच किसी कंटीले तार से जकडा सा महसूस होता था मुझे और उस कंटीले तार की जकड़ हर दिन बीतने के साथ मेरे दिल को और ज्यादा भींचती जाती थी। मेरी हँसी में वो उस दर्द को देख सकती थी जिसे कभी मैं उससे छुपाता था और कभी जानबूझकर जताता था।
उन तीन महीनों में मैंने ये रिश्ता बनाये रखने की हर मुमकिन कोशिश की। उसका मन बदलने की हर कोशिश की। हर दिन में कम से कम एक बार तो उससे इस बारे में बात होती ही होती थी लेकिन सब बर्बाद रहा। वो मेरे साथ 3 महीने से एक दिन ज्यादा नहीं रुकी।
...Prev | Next...
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai