ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
‘सिर्फ ये बात नहीं है अंश। बात ये है कि तुम मुझे भूलना चाहते हो... चाहते हो कि मैं भी भूल जाऊँ तुम्हें। तुम मुझसे दूर.... बहुत दूर चले जाना चाहते हो। है न?’ उसने सवाल किया जिसका कोई जवाब नहीं था मेरे पास। ना हाँ में, न ना में। मेरी खामोशी में उसने ना जाने क्या सुना कि हल्के से मुस्कुरा गयी। ‘मैं भी यही चाहती हूँ कि ऐसा हो जाये लेकिन क्या करूँ, नहीं हो पा रहा। इटस् नाट जस्ट हैप्पनिंग!’
‘‘तो? क्या कर सकते हैं इस बारे में? तुम मेरे साथ रिश्ता तो जोड़ नहीं सकतीं?’ जवाब तो मैं जानता ही था। वो अचानक बेबस सी हो गयी।
‘नहीं। काश, ये सब मेरे लिए मुमकिन होता।’ हाथों की उँगलियों को आपस में मसलते हुए- काश कि तुम मेरी जिन्दगी में पहले आये होते...’
‘तो फिर क्यों अपनी जिन्दगी खराब कर रही हो? पता नहीं तुम मानोगी या नहीं लेकिन मेरे लिए तुमको भूलना आसान नहीं है। जिस तरह से तुमने मुझसे रिश्ता तोडा है मैं....’ मैं रुक गया। ‘गुड नाईट!’ शायद बात बदलना ही बेहतर था।
मैंने दरवाजे को अन्दर की तरफ धकेल दिया। अन्दर पैर रखता इससे पहले ही-
‘ऐसा मत करो अंश। मैं कुछ ज्यादा तो नहीं माँग रही तुमसे? बस अपनी जिन्दगी के कुछ दिन ही तो तुम्हारे साथ वक्त बिताना चाहती हूँ।’ वो छटपटा गयी। मैं भी!
‘तो फिर ये सिर्फ कुछ महीने ही क्यों? पूरी जिन्दगी क्यों नहीं?’ मैं चिल्ला पड़ा उस पर।
कुछ देर के लिए हम दोनों के शब्द, बहस सब खत्म हो गयी। हम एक दूसरे को घूरते रह गये। अगर वो हार रही थी तो हार तो मैं भी रहा था। हम दोनों ही नाराज थे और फिर एक गहरी साँस छोड़ते हुए, टूटे से लहजे में-
‘मैं तुम्हें समझा नहीं सकती लेकिन जानती हूँ कि कभी ना कभी तुम खुद ही समझ जाओगे। प्यार में हर कोई खुदगर्ज हो जाता है लेकिन इतना भी नहीं कि....’ वो रुक गयी जैसे उसका अगला लफ्ज बेहद मुश्किल हो। ‘अपने परिवार को एक बेहतर जिन्दगी देने के लिए मैंने खुद को बर्बाद कर लिया। मेरे लिए सब कुछ समझौता था... संजय। मेरी शादी, मेरा पति, यहाँ तक कि मेरी जिन्दगी भी। मैंने अपने रिश्तों को झेला है जिया नहीं कभी। एक तुमसे ऐसा रिश्ता मिला जो सच में खुशी देता है। तुम्हीं ने बताया कि कैसा महसूस होता है जब प्यार हमारी जिन्दगी में आता है।’ उसकी आवाज की धारा टूटने लगी। ‘अंश मैं... मैं अपनी पूरी जिन्दगी तुम्हारे साथ जीना चाहती हूँ लेकिन....’ एक गहरे दुःख के साथ उसने आँखें बन्द कर लीं।
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