ई-पुस्तकें >> एक नदी दो पाट एक नदी दो पाटगुलशन नन्दा
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'रमन, यह नया संसार है। नव आशाएँ, नव आकांक्षाएँ, इन साधारण बातों से क्या भय।
मुनि बाबा ने अपना चमत्कार दिखाया और लोगों को इस बात की सूचना दी कि आने वाली आपत्ति टल सकती है यदि वे भगवान् के भजे हुए बन्दों को न ठुकराएँ; और वे बन्दे जो उनकी भलाई चाहते हैं, उनको नया इन्सान बनाना चाहते हैं, ईसाई हैं। यदि वे किसी और के कहने में आ गए तो भगवान् उनसे रुष्ट होकर अपने क्रोध से उनकी बस्ती को नष्ट कर देगा।
लोगों ने यह सुनकर थूक दिया और बोले कि वे किसी दशा में भी इन परदेशियों के हाथ न बिकेंगे और अपना धर्म कदापि न छोड़ेंगे, चाहे भगवान् उनपर कितना ही अत्याचार क्यों न करे। परन्तु यह केवल बात ही रही, भय ने उन्हें पूर्णत: जकड़ लिया। लाल रंग के पंजे बार-बार उनकी दृष्टि के सामने आते और उनका विश्वास डगमगाने लग जाता।
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