ई-पुस्तकें >> भगवान श्रीकृष्ण की वाणी भगवान श्रीकृष्ण की वाणीस्वामी ब्रह्मस्थानन्द
|
1 पाठकों को प्रिय 243 पाठक हैं |
भगवान श्रीकृष्ण के वचन
भगवान् श्रीकृष्ण के प्रति प्रार्थना
शुकदेव के द्वारा
हे परमेश्वर, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ,
क्योंकि तुमने अपने ही आनन्द एवं क्रीड़ा के लिए इस विश्व का सृजन किया है।
तुम उत्कृष्ट से भी उत्कृष्ट हो! तुम्हारी अनन्त महिमा का गायन कौन कर सकता है?
तुम्हीं प्रत्येक हदय में स्थित अन्तर्यामी स्वामी हो तुम्हारे मार्ग रहस्यमय हैं;
तुम्हारे पथ धन्य हैं।
000
तुम अपने भक्तों के समस्त अश्रुओं को पोंछ देते हो,
तुम दुष्टों की दुष्टता का नाश करते हो;
तुम्हारे नाम में कितनी मधुरता है,
तुम्हारे स्मरण में कितना आनन्द है।
हम तुम्हें बार-बार प्रणाम करते हैं
तुम्हीं परमेश्वर हो, तुम्हीं वस्तुत: वेद हो।
तुम्हीं सत्य हो। तुम्हीं समस्त धर्मों के गन्तव्य हो।
तुम्हारे प्रेमीजन तुम्हारे आनन्दकन्द रूप का ध्यान करते हैं। और तज्जन्य आनन्द में तन्मय हो जाते हैं। हे प्रभु, मुझ पर अपनी कृपा का वर्षण करो और दया करके मेरी ओर दृष्टि करो!
|