लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> भगवान श्रीकृष्ण की वाणी

भगवान श्रीकृष्ण की वाणी

स्वामी ब्रह्मस्थानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :74
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 9555
आईएसबीएन :9781613012901

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

243 पाठक हैं

भगवान श्रीकृष्ण के वचन

भगवान् श्रीकृष्ण के प्रति प्रार्थना

शुकदेव के द्वारा


हे परमेश्वर, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ,

क्योंकि तुमने अपने ही आनन्द एवं क्रीड़ा के लिए इस विश्व का सृजन किया है।

तुम उत्कृष्ट से भी उत्कृष्ट हो! तुम्हारी अनन्त महिमा का गायन कौन कर सकता है?

तुम्हीं प्रत्येक हदय में स्थित अन्तर्यामी स्वामी हो तुम्हारे मार्ग रहस्यमय हैं;

तुम्हारे पथ धन्य हैं।


000


तुम अपने भक्तों के समस्त अश्रुओं को पोंछ देते हो,

तुम दुष्टों की दुष्टता का नाश करते हो;

तुम्हारे नाम में कितनी मधुरता है,

तुम्हारे स्मरण में कितना आनन्द है।

हम तुम्हें बार-बार प्रणाम करते हैं

तुम्हीं परमेश्वर हो, तुम्हीं वस्तुत: वेद हो।

तुम्हीं सत्य हो। तुम्हीं समस्त धर्मों के गन्तव्य हो।


तुम्हारे प्रेमीजन तुम्हारे आनन्दकन्द रूप का ध्यान करते हैं। और तज्जन्य आनन्द में तन्मय हो जाते हैं। हे प्रभु, मुझ पर अपनी कृपा का वर्षण करो और दया करके मेरी ओर दृष्टि करो!

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai