लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> भगवान श्रीकृष्ण की वाणी

भगवान श्रीकृष्ण की वाणी

स्वामी ब्रह्मस्थानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :74
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 9555
आईएसबीएन :9781613012901

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

243 पाठक हैं

भगवान श्रीकृष्ण के वचन

 

स्फुट


¤ मानव-जन्म अतिशय पुनीत है; स्वर्ग के निवासी भी इस जन्म की आकांक्षा करते हैं, क्योंकि मनुष्यों के द्वारा ही सच्चा ज्ञान और शुद्ध प्रेम प्राप्त किया जा सकता है।

¤ पृथ्वी पर या स्वर्ग में जीवन प्राप्त करने की चेष्टा न कर। जीवन के प्रति तृष्णा माया है। जीवन को क्षणस्थायी जानते हुए अज्ञान के इस स्वप्न से जाग उठ और मृत्यु का ग्रास बनने के पूर्व ज्ञान और मुक्ति पाने का प्रयास कर।

¤ इस नाशवान जीवन का प्रयोजन जीवन और मृत्यु दोनों को पराजित करके अमरता के सागर के तट पर पहुँचना है।

¤ राज्य जैसी बाह्य वस्तुओं का परिहार करने से नहीं, प्रत्युत इन्द्रियों को सन्तुष्ट करनेवाली वस्तुओं के त्याग से ही मुक्ति मिल सकती है।

¤ मानव-देह एक नौका है, जिसका सर्वप्रथम और सर्वोपरि उपयोग यह है कि वह जीवन और मृत्यु के सागर का सन्तरण कर हमें अमरता के तट पर पहुँचा दे।

¤ गुरु कुशल माँझी है ईश्वर की कृपा अनुकूल वायु है। अगर इस प्रकार के साधनों से सम्पन्न होकर भी मनुष्य जीवन और मृत्यु के सागर को पार करने का प्रयास नहीं करता, तो वह वस्तुत: आध्यात्मिक दृष्टि से मृत है।

¤ जब वह मुझ सर्वात्मा का साक्षात्कार करता है, तो उसके हृदय की ग्रन्थियां शिथिल हो जाती हैं और उसके सारे संशय छिन्न हो जाते हैं तथा वह कर्मों के बन्धन से मुक्त हो जाता है।

¤ आकांक्षाहीनता को परम शुभ कहा गया है। वह धन्य है, जिसमें कोई आकांक्षा नहीं है।

¤ आत्मिक जीवन में प्रविष्ट होने के लिए व्यक्ति के हृदय को शुद्ध होना चाहिए। हृदय की शुद्धता, प्राप्त करने के लिए पुरुष को स्वच्छ रहना चाहिए, तप करना चाहिए, समस्त प्राणियों के प्रति करुणावान् होना चाहिए तथा जीवन के समुचित कर्तव्यों का सम्पादन करना चाहिए।

¤ यह विश्व मुझसे ही निकला है तथा मैं समस्त प्राणियों के हृदयों में निवास करता हूँ।

¤ सत्य के अनेक पक्ष होते हैं। अनन्त सत्य की अनन्त अभिव्यक्तियाँ हैं। यद्यपि ऋषि-मुनि भिन्न भिन्न प्रकार से व्याख्यान करते हैं, तथापि वे एक ही सत्य को प्रकट करते हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai