ई-पुस्तकें >> भगवान महावीर की वाणी भगवान महावीर की वाणीस्वामी ब्रह्मस्थानन्द
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भगवान महावीर के वचन
मंगल सूत्र
अर्हत् मंगल है।
सिद्ध मंगल है।
साधु मंगल है।
केवलि-प्रणीत धर्म मंगल है।
अर्हत् लोकोत्तम हैं।
सिद्ध लोकोत्तम हैं।
साधु लोकोत्तम हैं।
केवलि-प्रणीत धर्म लोकोत्तम है।
अर्हतों की शरण लेता हूँ।
सिद्धों की शरण लेता हूँ।
साधुओं की शरण लेता हूँ।
केवलि-प्रणीत धर्म की शरण लेता हूँ।
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