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भगवान बुद्ध की वाणी

स्वामी ब्रह्मस्थानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :72
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9553
आईएसबीएन :9781613012871

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भगवान बुद्ध के वचन

भगवान् बुद्ध के सम्बन्ध में

स्वामी विवेकानन्द के उद्गार

''निष्कर्ष के रूप में मैं तुम लोगों को एक ऐसे व्यक्ति के सम्बन्ध में कुछ बाते बताना चाहता हूँ, जिसने कर्मयोग के उपदेशों को यथार्थ रूप से व्यवहार में उतारा है। यह व्यक्ति है बुद्ध। वे ही एक ऐसे अद्वितीय पुरुष हैं, जिन्होंने इसे पूर्णतया व्यवहार में उतारा है। बुद्ध के अतिरिक्त संसार में और जितने पैगम्बर हुए, वे बाह्य कारणों से प्रेरित होकर निष्काम कर्म की ओर बढ़े। पर बुद्ध अहैतुक कार्य करनेवाले आदर्श कर्मयोगी हैं और मानवता का इतिहास उन्हें ऐसे महान् पुरुष के रूप में प्रदर्शित करता है, जितना महान् इस धरती पर और कभी पैदा नहीं हुआ। वे अतुलनीय हैं। उनके समान हृदय और मस्तिष्क का समन्वय करनेवाला और कोई नहीं हुआ। उनमें आत्मशक्ति का जितना प्रकाशन हुआ उतना और कभी किसी में नहीं हुआ..।''

''बौद्ध धर्म ऐतिहासिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण धर्म है। पर हाँ, ऐतिहासिक दृष्टि से, दार्शनिक दृष्टि से नहीं क्योंकि वह संसार में घटित होनेवाला बृहत्तम धार्मिक आन्दोलन था, मानव-समाज पर फूट पड़नेवाली विराटतम आध्यात्मिक लहर थी।..''

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