लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> भगवान बुद्ध की वाणी

भगवान बुद्ध की वाणी

स्वामी ब्रह्मस्थानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :72
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9553
आईएसबीएन :9781613012871

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

174 पाठक हैं

भगवान बुद्ध के वचन

स्तुति

हे अनन्त जीवन !

हे परम मृत्यु !

मैं तुम्हारी शरण में आया हूँ।

तुम्हारी अग्नि से मुझे अपने निर्वापित दीप को जलाने दो।

मेरे भ्रू पर अपनी महिमा चिन्हित करके तुम मेरी लज्जा को सर्वदा के लिए मिटा दो।

तुम्हारे चरण रूपान्तरकारी अग्नि हैं जो मेरी खोट को स्वर्ण बना देगी।

मेरे भीतर की सारी कलौंस आग में भस्मीभूत हो जाए, और भ्रमजाल विदीर्ण हो उठे।

- रवीन्द्रनाथ ठाकुर

 

 

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai