ई-पुस्तकें >> भगवान बुद्ध की वाणी भगवान बुद्ध की वाणीस्वामी ब्रह्मस्थानन्द
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भगवान बुद्ध के वचन
पुण्य कर्म
1. सत्पात्र को दान कर।
2. नैतिकता के नियमों का पालन कर।
3. शुभ विचारों का अभ्यास और विकास कर।
4. दूसरों की सेवा और देखभाल कर।
5. माता-पिता और बड़ों का सम्मान कर और उनकी शुश्रूषा कर।
6. अपने पुण्य का भाग दूसरों को दे।
7. दूसरों के द्वारा दिये गये पुण्य को स्वीकार कर।
8. सम्यकता के सिद्धान्त का श्रवण कर।
9. सम्यकता के सिद्धान्त का प्रचार कर।
10. अपनी त्रुटियों का सुधार कर।
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