उपन्यास >> अवतरण अवतरणगुरुदत्त
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हिन्दुओं में यह किंवदंति है कि यदि महाभारत की कथा की जायें तो कथा समाप्त होने से पूर्व ही सुनने वालों में लाठी चल जाती है।
‘‘आपकी आयु क्या है?’
‘‘आपको क्या प्रतीत होती है?’’
‘‘मुझे तो केवल पच्चीस-तीस के भीतर ही प्रतीत होती है।’’
‘‘इस पर दोनों हँसने लगे। मैं उनके हँसने का अर्थ न समझ उनकी ओर देखने लगा। इस पर उग्रश्रवा ने बताया कि वह एक सौ साठ वर्ष का है और नीलिमा एक सौ पच्चीस वर्ष की।’’
‘‘परन्तु आप इनती आयु के लगते नहीं?’’
‘‘यहाँ बहुत कम लोग सौ वर्ष से कम आयु के मिलेंगे। पच्चीस वर्ष से कम तो कोई होगा ही नहीं।’’
‘‘क्या अभिप्राय है आपका इससे?’’
‘‘यही कि सबने यह निश्चय किया है कि पचास वर्ष तक सन्तान उत्पन्न नहीं करेंगे। इस निश्चय को पच्चीस वर्ष हो चुके हैं।’’
‘‘इस निश्चय में कारण क्या है?’’
‘‘कारण स्पष्ट है। देवलोक की जनसंख्या सीमा से अधिक बढ़ गई थी। हमारा विचार है कि इस प्रतिबन्ध ये यह पुनः सीमान्तर्गत हो जायेगी।’’
‘‘यह आप कैसे कह सकते हैं? क्या यहाँ सब ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं?’’
‘‘बह्मचर्य क्या होता है?’’
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