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असंभव क्रांति

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :405
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9551
आईएसबीएन :9781613014509

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माथेराम में दिये गये प्रवचन

जितने लोग पागल होते हैं उनके अध्ययन से जाहिर होता है कि उनमें से नब्बे प्रतिशत लोग सेक्स की ही रोग के कारण पागल होते हैं। और हम भी जो डावांडोल होते हैं जीवन में, वह भी सेक्स है। इससे हम यह नतीजे लेने लगते हैं, और नतीजे बिलकुल गलत होते हैं, हम अजीब नतीजे लेने के आदी हो गए हैं। हमें क्या नतीजा लेना चाहिए यह बड़ी मुश्किल हो गई है। देखते हैं कि सारे लोग सेक्स के कारण परेशान हैं तो हम सोचते हैं सेक्स को हटाओ, खतम करो जीवन से।

परेशान इसलिए हैं कि आप हटाने की कोशिश कर रहे हैं तीन हजार साल से, उससे परेशान हैं। और परेशानी देखकर आप यह नतीजा लेते हैं कि हटाओ इसको, बिलकुल खतम करो, इसकी परेशानी बंद होनी चाहिए। हम सिखाते हैं कि बच्चों को स्कूल में गीता पढ़ाओ, कुरान पढ़ाओ। नहीं साहब, बच्चों को स्कूल में सेक्स के बाबत सब कुछ पढ़ाओ। गीता-कुरान की कोई जरूरत नहीं है। ये बच्चे स्कूल से स्वस्थ होकर बाहर आएं। इनका मन साफ, अनसप्रेस्ड हो, ये दमन से मुक्त हों। ये स्वस्थ हो सकें, ये संतुलित हो सके। लेकिन हम नतीजे उलटे लेते हैं।

एक गांव में, एक व्यक्ति शराबबंदी के लिए लोगों को समझा रहा था। वह समझा रहा था कि शराब बहुत बुरी चीज है। वह समझा रहा था कि शराब के कारण जीवन नष्ट हो जाता है। वह समझा रहा था और समझाने के लिए उसने एक प्रश्न पूछा, उसने कहा, तुम्हें पता है गांव में किस आदमी की स्त्री सबसे अच्छे कपड़े पहनती है शराब घर के मालिक की। कौन सी स्त्री सबसे अच्छे जेवर पहनती है शराब घर के मालिक की। क्योंकि तुम्हारा और कौन उसके पैसे चुकाता है? तुम। सारा धन वहाँ इकट्ठा होता है।

सभा शुरू हो गई। एक आदमी उसके पास आया, उस उपदेशक के और उसने कहा कि मैं आपसे बिलकुल सहमत हूँ और मेरा मन आपने बिलकुल बदल दिया। उपदेशक बहुत प्रसन्न हुआ, उसने उसे गले लगाया और कहा कि चलो, एक आदमी भी बदले तो ठीक।

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