ई-पुस्तकें >> अमृत द्वार अमृत द्वारओशो
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ओशो की प्रेरणात्मक कहानियाँ
और मजा यह है कि हम मिटाना चाहते हैं गरीबी को, और दान देकर मिटाना चाहते हैं। तो हम पागल हो गए हैं। क्योंकि दान आता है शोषण करने से। तब आप दान कर सकते हैं और दान आप उतना बड़ा कर सकते हैं जितना बड़ा आप शोषण कर सकते हैं। तो पहले गरीबी को और गरीब बनाकर शोषण करें, फिर उसको दान करें। एक करोड़ रुपया कमाए और एक लाख रुपया दान करें। यह पूरा का पूरा हमारा सोचने का ढंग बुनियादी रूप से धार्मिक है, और इस चिंतना के चोट पहुँचाने की मैं बातें कर रहा हूं। न मुझे इसकी फिकर है कि सामाजिक रचना में वह किस तरह पैदा हुई। उसकी मुझे बहुत फिकर नहीं है। यह सवाल बहुत बड़ा नहीं है कि गरीबी कैसे पैदा हुई है? बहुत बड़ा सवाल यह है कि गरीबी पांच हजार साल तक कैसे बनी रही? क्योंकि वह जो बने रहने का ढांचा है, वह बना रहने का ढांचा अगर हम तोडना शुरू करेंगे तो गरीबी मिटेगी। गरीबी पैदा हुई है निन्दित ही शोषण से पैदा हुई है। बिना शोषण के वह पैदा नहीं हो सकती। और जब पैदा हो गयी हो तो गरीब को संतुष्ट करने के लिए हमें चिता करनी पड़ती है कि इसको संतुष्ट के। घर में भी आपके--घर में भी आदमी अगर बगावती हो जाए तो आप विचार करने लगेंगे कि उसकी बगावत को कैसे शांत किया जाए। और हजार तरह का इंतजाम कम करेंगे।
अब हिदुस्तान में गरीबों को शांत करने के लिए हमने कई तरह के उपाय किए हुए हैं। उनमें वर्ग विभाजन, वर्ण व्यवस्था एक थी कि करोड़ों शूद्रों को हमने ऐसा ठहराव दे दिया कि वह अपने कर्मफल का फल भोग रहे हैं। उनको दरिद्रता से, उनकी दीनता से उठने का कोई उपाय नहीं है। अगर वे जी रहे हैं तो हमारी करुणा और कृपा पर जी रहे हैं। वह हमारे टुकड़े जो हम दे रहे हैं, उनके ऊपर उनका जीना है। मजा यह है कि जो टुकड़े दे रहे हैं, उनको हमने समझाया है कि तुम बहुत बड़ा काम कर रहे हो, जो इनको टुकड़े दे रहे हो। और उनको हमने समझाया है कि तुम पर बड़ी कृपा की जा रही है। कि तुमको कुछ दिया जा रहा है। और मजा यह है कि उनका हम पूरे वक्त शोषण कर रहे हैं क्योंकि हमारी व्यवस्था उनको कष्ट में डाल रही है और कष्ट से निकालने के लिए हम दान करने का मजा भी दे रहे हैं।
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