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अमृत द्वार

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :266
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9546
आईएसबीएन :9781613014509

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ओशो की प्रेरणात्मक कहानियाँ

शब्दों पर हम जीते और लड़ते भी हैं। मैं कहता हू, मैं हिंदू हू। मैं कहता हूं, मैं मुसलमान हूं। कोई कैसे मुसलमान हो गया, कोई कैसे हिंदू हो गया? कुछ शब्द हैं जो कुरान से लिए गए हैं, कुछ शब्द हैं जो गीता से लिए गए हैं। कुछ शब्द हैं जो इस मुल्क में पैदा हुए हैं, कुछ शब्द हैं जो उस मुल्क में पैदा हुए हैं। और शब्दों को हमने इकट्ठा कर लिया तो एक तरफ के शब्द मुसलमान बना लेते हैं, दूसरे तरह के शब्द हिंदू बना लेते हैं, तीसरे तरह के शब्द जैन बना देते हैं। क्योंकि किसी के भीतर कुरान है, किसी के भीतर बाइबिल है, किसी के भीतर गीता है। शब्दों के अतिरिक्त हमारी संपदा क्या है? और इन कोरे शब्द पर हम लड़ते भी हैं और जीवित आदमी की छाती में तलवार भी भौंक सकते हैं। मंदिर भी जला सकते हैं, मस्जिद में आग भी लगा सकते हैं। क्योंकि मेरे शब्द अलग हैं आपके शब्द अलग हैं? आदमी शब्दों पर जी रहा है हजार वर्षों से और सोच रहा है कि शब्दों में कोई बल है, कोई संपदा है, कोई संपत्ति है। शब्द एकदम बोझ हैं, लेकिन शब्दों से भ्रम जरूर पैदा होता है। जैसे उस कवि को भ्रम पैदा हुआ एक लाख स्वर्ण मुद्राओं का। रात भर उसे उसने गिनती की। हाथ में स्वर्ण मुद्राएं पड़ीं। रात भर उसने सपने बनाए कि अब क्या करूं और क्या न करूं? कितना बड़ा भवन बनाऊं, कितना बड़ा रथ खरीदूं, कितना बड़ा बगीचा लगाऊं, क्या करूं, क्या न करूं? लेकिन हाथ में कुछ भी न था। एक लाख स्वर्ण मुद्रा का शब्द था। शब्द से उसने फैलाव कर लिया।

हमारे हाथ में क्या है? आत्मा, परमात्मा, मोक्ष, जन्म, जीवन, प्रेम, आनंद हमारे पास शब्दों के अतिरिक्त और क्या है? लेकिन शब्द से जरूर भ्रम पैदा होता है। छोटा-सा बच्चा स्कूल में पढ़ता है, सी ए टी कैट, कैट यानि बिल्ली। बार-बार पढ़ता है, सी ए टी कैट, कैट यानि बिल्ली। सी ए टी कैट, कैट यानी बिल्ली। सीख जाता है, फिर वह कहता है कि मैं जान गया। कैट यानि बिल्ली। लेकिन उसने जाना क्या है? उसने दो शब्द जाने कैट भी एक शब्द है, बिल्ली भी एक शब्द है। बिल्ली को जाना उसने? लेकिन वह कहता है कि मैंने जान लिया। कैट यानि बिल्ली। उसने दो शब्द जान लिए, दोनों का अर्थ जान लिया। शब्द भी शब्द हैं, अर्थ भी शब्द। और बिल्ली पीछे छूट गयी, वह जो जीवित प्राण है बिल्ली का। उसे उसने बिलकुल नहीं जाना, लेकिन वह कहेगा कि मैं जानता हूं कैट यानि बिल्ली। लेकिन बिल्ली को पता भी नहीं होगा कि मैं कैट हूं या बिल्ली हूं। बिल्ली को पता भी नहीं होगा कि आदमी ने मुझे क्या शब्द दे रखे हैं।

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