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अमृत द्वार

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :266
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9546
आईएसबीएन :9781613014509

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ओशो की प्रेरणात्मक कहानियाँ

तो मैंने यह अनुभव किया--धीरे-धीरे मैंने यह कहना भी शुरू किया कि ग्रंथ जो धर्म के हैं वह साधना के बाद पढ़ें, तो उनमें कुछ आनंद जाएगा। साधना के पूर्व पढ़ने में कोई आनंद उपलब्ध नहीं होगा। थोड़ी साधना हो तो कई शब्द इतने अर्थपूर्ण हैं कि साधना उनके अर्थ को खोल देगी। तब एक-एक शब्द आपकी अनुभूति को खोलता हुआ मालूम होगा। मेरी तो धारणा विपरीत सी है। मेरा तो मानना वह है कि योग के जितने ग्रंथ हैं वे साधक को पढ़ने के नहीं है। वह सिद्ध को पढ़ने के हैं। हालांकि तब पढ़ने की कोई जरूरत नहीं रह जाती—पढ़े या न पढे़, लेकिन सिद्ध के पढ़ने के लिए है। और वह केवल पहचानने के लिए है कि जो मुझे मिला उसको पुराने सिद्धों ने क्या नाम दिए हैं। इससे ज्यादा कोई माने नहीं हैं। हर शब्द परंपरा शब्द देती है। जैसे जैनों की परंपरा है, बौद्धों की, हिंदुओं की, योगियों की परंपराए हैं। जब पहली दफा साधक को समाधि का अनुभव होता है तो उसको कुछ नहीं समझता है, इसको मैं क्या कहूं। कुछ कहने को शब्द होता ही नहीं। समझ लीजिए कि मैं इस घर में आया और मैंने पहली दफा कोई चीज इस कमरे में रखी देखी। मैं उसे देखूंगा जरूर, अनुभव जरूर करूंगा लेकिन शब्द क्या दूं? शब्द तो परंपरा से दिए जाते हैं। तो जब पहली दफे व्यक्ति आत्म-साक्षात्कार करेगा तो उसको समझ में नहीं आता, क्या शब्द दूं। तो अगर वह बौद्ध की परंपरा में पला है तो उसके ग्रंथ इसको बताएंगे कि इसको क्या नाम देना है। अगर वह जैनों की परंपरा में पला है तो जैन परंपरा के ग्रंथ बताएंगे कि इस अनुभूति को क्या नाम देना है। तो उसके ग्रंथों में लक्षण भी दिए हुए हैं, नाम भी दिए हुए हैं। लक्षण उसको सूचना देंगे कि ठीक, यह बात घट गयी है, और नाम उसे मिल जाएगा। परंपराएं केवल नाम देती हैं, ज्ञान नहीं देती हैं। ज्ञान अनुभव से आता है, नाम परंपरा से मिल जाते हैं। और उल्टी हमारी स्थिति है, हम पहले नाम पढ़ लेते हैं, ज्ञान तो आता नहीं। नाम सीख जाते हैं और फिर उन्हीं में से हम प्रश्न पूछते रहते हैं, और जिंदगी भर उलझते रहते हैं कि वह क्या है और फलां क्या है, ढिकां क्या है। उससे कुछ हल नहीं होता है। बिलकुल फिकर छोड़ दें नामों की, शब्दों की। कोई चिता न करें, एक ही चिता करें कि मेरे भीतर कुछ घटित होता है।

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