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अंतस का संगीत

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9545
आईएसबीएन :9781613015858

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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ


लोग आजकल इस तरह, निभा रहे हैं साथ।
दिल से दिल मिलता नहीं, मिला रहे हैं हाथ।।11

किसको अब अच्छा कहें, किसको कहें खराब।
हर कोई हमको मिला, पहने हुये नकाब।।12

बहुधा छोटी वस्तु भी, संकट का हल होय।
डूबन हारे के लिये, तिनका सम्बल होय।।13

हवा जरा सी क्या लगी, भूल गई औकात।
पाँवों की मिट्‌टी करे, सर पर चढ़कर बात।।14

चार टके क्या मिल गये, छिपा रहे हैं टाट।
कभी न देखा बोरिया, सपने आई खाट।।15

वैभव जो मिल जाय तो, करो न ऊँची बात।
चार दिनों की चाँदनी, फिर अँधियारी रात।।16

समझ न पाया आजतक, हार हुई या जीत।
खेल-खेल में 'क़म्बरी', गई जिन्दगी बीत।।17

भला कबूतर अम्न के, कहीं करें परवाज।
आसमान में आजकल, उड़ते केवल बाज।।18

पंछी चिन्तित हो रहे, कहाँ बनायें नीड़।
जंगल में भी आ गई, नगरों वाली भीड़।।19

जाने कैसी हो गयी, है भौंरों से भूल।
कलियाँ विद्रोही हुयी, बागी सारे फूल।।20

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