कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
यानि कि उनका बाण मारना भी कल्याणकारी है, मंगलमय है। अंसार भाई दरअसल भले आदमी हैं, क्योंकि शीलता और सरलता उनके स्वभाव में है। मेरे विचार में जो भला आदमी नहीं है वह अच्छा कवि हो ही नहीं सकता। हालांकि मेरी इस बात को कुछ ऐसे लोग भी अपने ऊपर लागू मानेंगे, जिन्होंने कविता को मनोरंजन की वस्तु मान कर विकृत किया है। लेकिन सत्य यह है कि अच्छी कविता किसी बहुरूपिए का स्वांग नहीं होती। वह क्षणिक वाह-वाही लूटने वाली फूहड़ अभिव्यक्ति भी नहीं होती। वह तो कवि की सात्विक साधना की परिणति है, जो ईश्वर प्रदत्त मौलिक प्रतिभा का प्रकटीकरण है। कवि के हृदय का ऐसा सहज उद्गार है जो कवि की क़लम से काग़ज पर उतर कर सीधे-सीधे पाठक या श्रोता के हृदय को प्रभावित करता है। ऐसी कविता को ही दुर्लभ कहा गया है।
'नरत्व दुर्लभं लोके, विद्या तंत्रा सुदुर्लभा।
कवित्व दुर्लभं तंत्रा, भक्तिस्तत्रा दुर्लभा।'
भाव-व्यंजना और प्रभावोत्पादकता की ऐसी शक्ति से युक्त दुर्लभ काव्य के रचनाकार हैं अंसार क़म्बरी। उनका दोहा-गीत संकलन 'अंतस का संगीत' प्रकाशित होने जा रहा है। यह उनकी सरलता और स्नेह-भाव ही है कि तमाम विद्वानों और साहित्य मनीषियों से भरे-पूरे कानपुर महानगर में उन्होंने मुझ जैसे अल्पज्ञ को कुछ लिखने को कहा है।
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