| कविता संग्रह >> अंतस का संगीत अंतस का संगीतअंसार कम्बरी
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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ
 
घायल हुआ
 शब्द-वेधी बाण जब तुमने चलाये
 मैं श्रवण बन कर वहीं घायल हुआ
 
 तोड़ने पर भी न टूटे मोह बन्धन
 मौन साधे रह गये वैराग्य के क्षण
 
 वर हमारे याद जब तुमने दिलाए
 मैं वचन बन कर वहीं घायल हुआ
 
 मैं नदी के पास कितनी देर रहता
 और अपनी प्यास कितनी देर सहता
 
 रेत पर जल बिम्ब जब तुमने बनाए
 मैं हिरण बन कर वहीं घायल हुआ
 
 छू नहीं पाया कभी परछाईयों को
 सुन रहा हूँ बिन बजी शहनाईयों को
 
 सेज पर कुछ स्वप्न जब तुमने सजाए
 मैं नयन बन कर वहीं घायल हुआ
 
 भर नहीं पाया अभी तक नेह सागर
 आज तक रीती पड़ी है देह गागर
 
 रूप के आकाश जब तुमने दिखाए
 मैं नमन बन कर वहीं घायल हुआ
 
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