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अंतस का संगीत

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9545
आईएसबीएन :9781613015858

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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ


आह न की


अनगिन जख्म मिले हैं अब तक
हमने लेकिन आह न की

बंदी रहे न जाने कब से
मौसम की जंजीरों में
देख रहे हैं हरित-क्रान्ति
पतझर की तस्वीरों में

तपती रेत तेज सूरज की
हमने तो परवाह न की

रहने को मजबूर हो गये
शहर बीच वीरानों में
सुनते आये जलाशयों के
किस्से रेगिस्तानों में

छाया मिले हमें मेघों की
हमने ऐसी चाह न की

रूखा-सूखा ही खाया है
बड़े-बड़े त्योहारों में
खाली जेब लिये घूमे हैं
सजे - धजे बाजारों में

जिस पर चलना पड़े उछल कर
हमने ऐसी राह न की

* *

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